पित्त दोष समस्या समाधान

पित्त दोष समस्या समाधान(pitta dosh problem solution)

शारीरिक गठन में पित्त दोष की प्रबलता को पित्त प्रकृति (पित्तज प्रकृति) या पित्त शारीरिक प्रकार कहा जाता है। इसे पित्त गठन के रूप में भी जाना जाता है।pitta dosh problem solution पित्त दोष ‘अग्नि’ और ‘जल’ इन दो तत्वों से मिलकर बना है। यह हमारे शरीर में बनने वाले हार्मोन और एंजाइम को नियंत्रित करता है। शरीर की गर्मी जैसे कि शरीर का तापमान, पाचक अग्नि जैसी चीजें पित्त द्वारा ही नियंत्रित होती हैं। पित्त का संतुलित अवस्था में होना अच्छी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है। शरीर में पेट और छोटी आंत में पित्त प्रमुखता से पाया जाता है।

ऐसे लोग पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे कि कब्ज़, अपच, एसिडिटी आदि से पीड़ित रहते हैं। पित्त दोष के असंतुलित होते ही पाचक अग्नि कमजोर पड़ने लगती है और खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं  पाता है। पित्त दोष के कारण उत्साह में कमी होने लगती है साथ ही ह्रदय और फेफड़ों में कफ इकठ्ठा होने लगता है। इस लेख में हम आपको पित्त दोष की समस्रया और उसके समाधान के बारे में बतायेगे खने के उपाय बता रहे हैं।

जाड़ों के शुरूआती मौसम में और युवावस्था में पित्त के बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है। अगर आप पित्त प्रकृति के हैं तो आपके लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आखिर किन वजहों से पित्त बढ़ रहा है। अपनी शारीरिक प्रकृति जानने के लिए know-your-body-type-in-ayurveda आर्टिकल पढ़ सकते है

केवल पित्त के प्रकोप से होने वाले रोगों की संख्या 40 मानी गई है।

पित्त के गुण :

चिकनाई, गर्मी, तरल, अम्ल और कड़वा पित्त के लक्षण हैं। पित्त पाचन और गर्मी पैदा करने वाला व कच्चे मांस जैसी बदबू वाला होता है। निराम दशा में पित्त रस कडवे स्वाद वाला पीले रंग का होता है। जबकि साम दशा में यह स्वाद में खट्टा और रंग में नीला होता है। किसी भी दोष में जो गुण पाए जाते हैं उनका शरीर पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है और उसी से प्रकृति के लक्षणों और विशेषताओं का पता चलता है.  

पित्त प्रकृति की विशेषताएं :

पित्त प्रकृति वाले लोगों में कुछ ख़ास तरह की विशेषताओं पाई जाती हैं जिनके आधार पर आसानी से उन्हें पहचाना जा सकता है। अगर शारीरिक विशेषताओं की बात करें तो मध्यम कद का शरीर, मांसपेशियों व हड्डियों में कोमलता, त्वचा का साफ़ रंग और उस पर तिल, मस्से होना पित्त प्रकृति के लक्षण हैं। इसके अलावा बालों का सफ़ेद होना, शरीर के अंगों जैसे कि नाख़ून, आंखें, पैर के तलवे हथेलियों का काला होना भी पित्त प्रकृति की विशेषताएं हैं।

पित्त प्रकृति वाले लोगों के स्वभाव में भी कई विशेषताए होती हैं। बहुत जल्दी गुस्सा हो जाना, याददाश्त कमजोर होना, कठिनाइयों से मुकाबला ना कर पाना व सेक्स की इच्छा में कमी इनके प्रमुख लक्षण हैं। ऐसे लोग बहुत नकारात्मक होते हैं और इनमें मानसिक रोग होने की संभावना ज्यादा रहती है।

ऊपर बताए गए इन सभी कारणों की वजह से पित्त दोष बढ़ जाता है। पित्त प्रकृति वाले युवाओं को खासतौर पर अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए और इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।  

पित्त बढ़ने के कारण:

आइये कुछ प्रमुख कारणों पर एक नजर डालते हैं।

  • चटपटे, नमकीन, मसालेदार और तीखे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से पित्त बढ़ता है
  • फ़ास्ट फ़ूड केज्यादा सेवन से भी पित्त की समस्या आती है
  • ज्यादा मेहनत करना, हमेशा मानसिक तनाव और गुस्से में रहने से पित्त की समस्या हो सकती है 
  • ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करने से भी पित्त की समस्या हो सकती है
  • सही समय पर खाना ना खाने से या बिना भूख के ही भोजन करने से या फिर जरुरत से ज्यादा भोजन करने से भी पित्त की समस्या हो सकती है  
  • ज्यादा सेक्स करना
  • तिल का तेल,सरसों, दही, छाछ खट्टा सिरका आदि का अधिक सेवन करने से पित्त की समस्या हो सकती है
  • गोह, मछली, भेड़ व बकरी के मांस का अधिक सेवन करने से पित्त की सम्स्यहोस्क्ति है
  • तीखा स्पाइसी मिर्च ज्यादा खाने से पित्त की समस्या हो सकती है
  • अगर आपको भूख लगी है खाना नही खा रहे तो ये भी पित्त को बढ़ाने वाला है

पित्त बढ़ जाने के लक्षण :

जब किसी व्यक्ति के शरीर में पित्त दोष बढ़ जाता है तो कई तरह के शारीरिक और मानसिक लक्षण नजर आने लगते हैं। पित्त दोष बढ़ने के कुछ प्रमुख लक्षण निम्न हैं।

  • बहुत अधिक थकावट, नींद में कमी
  • शरीर में तेज जलन, गर्मी लगना और ज्यादा पसीना आना
  • त्वचा का रंग पहले की तुलना में गाढ़ा हो जाना
  • अंगों से दुर्गंध आना
  • मुंह, गला आदि का पकना
  • ज्यादा गुस्सा आना
  • बेहोशी और चक्कर आना
  • मुंह का कड़वा और खट्टा स्वाद
  • ठंडी चीजें ज्यादा खाने का मन करना
  • त्वचा, मल-मूत्र, नाखूनों और आंखों का रंग पीला पड़ना
  • अगर आपमें ऊपर बताए गये लक्षणों में से दो या तीन लक्षण भी नजर आते हैं तो इसका मतलब है कि पित्त दोष बढ़ गया है। ऐसे में नजदीकी चिकित्सक के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं।

पित्त को शांत करने के उपाय :

बढे हुए पित्त को संतुलित करने के लिए सबसे पहले तो उन कारणों से दूर रहिये जिनकी वजह से पित्त दोष बढ़ा हुआ है। खानपान और जीवनशैली में बदलाव के अलावा कुछ चिकित्सकीय प्रक्रियाओं की मदद से भी पित्त को दूर किया जाता है।पित्त का मतलब अग्नि होता है . पित्त वालों को गर्मी से सम्बन्धत बीमरियां ज्यादा होती है पित्त वालों में गर्मी बहुत ज्यादा होती है इसलिए उन्हें ठंडी चीजों का प्रहोग करना चाहिए .ठंडी जगहों पर रहना चाहिए

विरेचन :

बढे हुए पित्त को शांत करने के लिए विरेचन (पेट साफ़ करने वाली औषधि) सबसे अच्छा उपाय है। वास्तव में शुरुआत में पित्त आमाशय और ग्रहणी (Duodenum) में ही इकठ्ठा रहता है। ये पेट साफ़ करने वाली औषधियां इन अंगों में पहुंचकर वहां जमा पित्त को पूरी तरह से बाहर निकाल देती हैं।

पित्त को संतुलित करने के लिए क्या खाएं :

अपनी डाइट में बदलाव लाकर आसानी से बढे हुए पित्त को शांत किया जा सकता है. आइये जानते हैं कि पित्त के प्रकोप से बचने के लिए किन चीजों का सेवन अधिक करना चाहिए..

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  1. शुद्ध घी का सेवन सबसे ज्यादा ज़रुरी है। शुद्ध घी का उपयोग पित्त में किया जा सकता है अगर पित्त का शमन करना है तो घी से अच्छी दवा कोई नही है पित्त में . पित्त वालों को खाने में घी का सेवन करना बहुत जरूरी है अगर हाथ पैर में जलन है तो घी लगाना चाहिए घी का विशेष गुण पित्त नाशक है घी का प्रयोग विशेष रूप से पित्त वालों को करना चाहिए ‘जहा भी जलन हो हाथ पैर के तलवों में घी की मालिश करनी चाहिए
  2. गोभी, खीरा, गाजर, आलू, शिमला मिर्च और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन पित्त में फायदेमंद है
  3. सभी तरह की दालों का सेवन करें।
  4. एलोवेरा जूस, अंकुरित अनाज, सलाद और दलिया का सेवन पित्त में करें .
  5. ठंडी चीजों का सेवन करना चाहिए
  6. इस गर्मी वाली बीमारी को कण्ट्रोल करने के लिए ऐसे चीजें उपयोग करनी चाहिए जो ठंडा हो ,पित्त के तेज को कण्ट्रोल करने में आवला बहुत फायदेमंद है ये पित्त की गर्मी को कम करने में बहुत फायदेमंद है जो लोग बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाते है उनको अवला का सेवन करना चाहिए .चाहे किसी भी फॉर्म में खाए पर आवला जरुर खाएं.
  7. पित्त वालो के अन्दर प्राकृतिक गर्मी होती है है इस वजह से उनको पसीना बहुत आता है और पसीने से बदबू आती है इसके लिए आयुर्वेद में उबटन करने के लिए कहा गया है चाहिए .जैसे चन्दन का लेप भी कर सकते है चन्दन ठंडक देगा शरीर को .
  8. या फिर खाना खाने से पहले बेल की ३से 4 पत्ती(बेलपत्र ) चबाकर खानी चाहिए.
  9. पित्त वाले भारी चीजों को भी आसानी से हजम कर लेते है ऐसे लोगो को मीठे चीजें खाना अच्छा होता है मधुर रस पचने में भरी होता है पित्त वालों के लिए अच्छा होता है.पित्त वालों को मीठा खाना चाहिए
  10. कडवा रस भी पित्त वालों के लिए बहुत अच्छा है करेला की सब्जी शुद्ध घी में बनाकर खाए तो बहुत फायदेमंद है .
  11. नीम की दातुन करना भी फायदेमंद है या फिर नीम के पत्ते खाना लाभदायक है .पित्त में परवल भी फायदेमंद है
  12. कसैला रस पित्त वालों के लिए भुत अच्छा है जैसे अवाला का पहला टेस्ट जो होता है वो कसैला होता है, इसलिए आवला का सेवन करना लाभदायक होता है .
  13. पित्त वालो को मक्खन का सेवन जरुर करना चाहिए.मक्खन पित्तनाशक है .
  14. दूध ठंडी है इसका सेवन कर सकते है

पित्त प्रकृति वाले लोगों को क्या नहीं खाना चाहिए :

खाने-पीने की कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके सेवन से पित्त दोष और बढ़ता है। इसलिए पित्त प्रकृति वाले लोगों को इन चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए

  1. काली मिर्च ,मूलीऔर कच्चे टमाटर खाने से बचना चाहिए ।
  2. तिल के तेल, सरसों के तेल का उपयोग कम करना चाहिए तिल का तेल बहुत ज्यादा गरम प्रकृति का होता है वो पित्त को बढाने का काम करेगा .
  3. काजू, मूंगफली, पिस्ता, अखरोट और बिना छिले हुए बादाम से परहेज करें।
  4. संतरे के जूस, टमाटर के जूस, कॉफ़ी और शराब से परहेज करना चाहिए .
  5. गरम मसाला फ़ास्ट फ़ूड का सेवन कम करना चाह्हिये .
  6. तीखी और मसालेदार चीजों से बचना चाहिए

जीवनशैली में बदलाव :

सिर्फ खानपान ही नहीं बल्कि पित्त दोष को कम करने के लिए जीवनशैली में भी कुछ बदलाव लाने ज़रूरी हैं। जैसे कि

  1. ठंडे तेलों से शरीर की मसाज करें।
  2. पित्त वाले ऐसे जगह रहे जहा पानी झरना ज्यादा है जो ठंडी जगह हो प्राकृतिक जगह पर रहना पित्त वालो के लिए लाभप्रद है .
  3. तैराकी करें।
  4. पित्त वालों के लिए बेस्ट दवा है चन्द्रमा की रोशनी बहुत फायदेमंद है सबसे बेस्ट है ये आपके दिमाग और शरीर को शांत रखती है .
  5. मधुर संगीत सुनना .पित्त का सम्बन्ध दिमाग से है पित्त वालों को शांत मधुर संगीत सुनना बहुत अच्छा है.
  6. रोजाना कुछ देर छायें में टहलें, धूप में टहलने से बचें।
  7. कपूर और चन्दन जैसे चीजों का उपयोग करिये ठंडी चीजें जैसे चन्दन गले में धारण कर सकते है
  8. पित्त वालों के अंदर बहुत एनर्जी नही उस एनर्जी को बच्चो के साथ खर्च करिये क्योकि बच्चो की आवाज मीठी होती है .
  9. ठंडे पानी से नियमित स्नान करें।
  10. मन को शांत करना जरूरी है उनको प्राणायाम करना बहुत जरूरी है
  11. सुगन्धित और ठंडी चीजों का उपयोग करिये सुगंध पृथ्वी महाभूत का गुण है सभी तरह की गंध पृथ्वी महाभूत को प्रेजेंट करती है पित्त वालो को सुगन्धित चीजों के साथ रहना चाहिए ये पित्त को शांत रखते है

ये कुछ आदतें और चीजें है जसके बारे में आयुर्वेद कहता है अगर इनका उपयोग रोजमर्रा की लाइफ में किया तो पित्त की समस्या से बचा जा सकता है

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