thyroid problems solution reason causes symptoms

थायरॉइड की बीमारी आज एक विकराल समस्या बनती जा रही है और जनसँख्या का एक बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में आ चुका है । आमतौर पर इस बीमारी के लछण महिलाओं में ज्यादातर देखने को मिलते है । लेकिन यह दिक्कत पुरुषों को नहीं होती, ऐसा मानना ठीक नहीं है। टेंशन, खाने में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल, दवाओं के साइड इफेक्ट अनियमित दिनचर्या के अलावा अगर परिवार में किसी को पहले से थायराइड की समस्या है तो भी इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है। जिसकी वजह से कई तरह की दूसरी बीमारियों के होने का भी खतरा बना रहता है। आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त व कफ के कारण थायरॉइड संबंधित रोग होता है। जब शरीर में वात एवं कफ दोष हो जाता है तब व्यक्ति को थायरॉइड होता है। थायरॉइड की बीमारी अस्वस्थ खान-पान और तनावपूर्ण दिनचर्या के के कारण होती है। Knee pain home remedy | घुटनों के दर्द का घरेलु इलाज

थायरॉइड क्या है? (What is Thyroid )

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थायरॉइड ग्रन्थि में किसी तरह के गडबडी के कारण थायरॉइड से संबंधित रोग जैसे Hyperthyroidism या Hypothyroidism होते है। Thyroid gland को अवटु ग्रन्थि भी कहा जाता है। अवटु ( Thyroid ) ग्रन्थियाँ मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अतस्रावी ग्रंथियों में से एक है।

थायराइड ग्रंथि गले में बिलकुल सामने की ओर होती है जो कि टी3 (ट्रीओडोथायरोनिन) और टी4 (टेट्रायोडोथायरोनिन) जैसे कई हारमोंस का उत्पादन करती है .(पल्‍स रेट), शरीर के तापमान, पाचन और मूड को नियंत्रित करने मेंअहम् भूमिका निभाते हैं।

थायराइड ग्रंथि के कम सक्रिय होने पर हाइपोथायराइड और अधिक सक्रिय होने पर हाइपरथायराइड होता है। थायराइड से जुड़ी इन दोनों ही परिस्थितियों के लक्षण अलग-अलग होते हैं। आयुर्वेद में थायराइड ग्रंथि पर ज्‍यादा अध्‍ययन नहीं किया गया है| Uric acid ayurvedic treatment

लेकिन यह द्विपिंडक रचना हमारे गले में स्वरयंत्र के नीचे Cricoid Cartilage के लगभग समान स्तर पर स्थित होती है। शरीर की चयापचय क्रिया में थायरॉइड ग्रंथि का विशेष योगदान होता है। nabhi par tel lagane ke fayde| नाभि में कौन सा तेल लगायें
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हाइपोथायरॉइडिज़म को दो भागों में बांटकर देखा जाता है। इन्हें प्राइमरी और सैकंडरी (central)हाइपोथायरॉइडिज़म कहा जाता है।

प्राइमरी हाइपोथायरॉइडिज़म

-प्राइमरी हाइपोथायरॉइडिज़म तब होता है, जब थाइरॉयड ग्लैंड जरूरी मात्रा में थाइरॉयड हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती। ऐसी स्थिति ज्यादातर आयोडिन की कमी के कारण बनती है।

सैकंडरी हाइपोथायरॉइडिज़म

-सैकंडरी हाइपोथायरॉइडिज़म, उस स्थिति को कहा जाता है जब थाइरॉयड ग्लैंड सही तरीके से काम कर रही हो लेकिन पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland) और दिमाग का एक हिस्सा हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) सही ढंग से काम ना करे।

अगर वक्त रहते हाइपोथायरॉइडिज़म का इलाज ना कराया जाए तो कई बार यह बीमारी व्यक्ति को कोमा की स्थिति में ले जाती है या मृत्यु का कारण भी बन सकती है। वहीं अगर सही समय पर थायरॉइड से जूझ रहे बच्चों का इलाज ना कराया जाए तो इनमें घातक मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते हैं। जानकारी के अनुसार, इस बीमारी से जूझ रहे ज्यादातर लोगों की मृत्यु हार्ट फेल्यॉर के कारण होती है।

– प्राइमरी हाइपोथायरॉइडिज़म में सीरम टीएसएच लेवल और टी-4 लेवल चेक किया जाता है। बीमारी होने की स्थिति में इनका स्तर सामान्य स्थिति से या तो कम होता है या अधिक होता है।

-सैकंडरी हाइपोथायरॉइडिज़म की जांच में टी-4 और ऐंटिथायरॉइड ऐंटिबॉडीज का लेवल जांचा जाता है।

लक्षण

कुछ सामान्य लक्षण जो हाइपोथायरॉइडिज़म के ज्यादातर मरीजों में देखने को मिलते हैं उनमें…

हाइपोथायराइड में दिल की धड़कन तेज हो जाती है

हाइपोथायराइड में त्‍वचा शुष्‍क हो जाती है

त्वचा का रुखापन

-आवाज में बदलाव