अपराजीता जिसे संखपुष्पी नाम से भी जानते है| जिसे वैज्ञानिक रूप से “क्लिटोरिया टर्नेटिया” कहा जाता है ।क्या ये जानते है इसके आयुर्वेदिक लाभ कितने हैं ? ये दो रंगों में पाया जाता है नीला और सफ़ेद आयुर्वेद में इन फूलों का उपयोग बहुत सी बीमारियों में किया जाता हैपराजिता को आयुर्वेद में विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है।
अपराजीता बेल वाला एक झाड़ीनुमा पौधा है |इसमें गाय के कान की तरह फूल आते है इसलिए इसे गोकर्णी भी कहा जाताहै |साधारणतया इसमें दो रंगों में फूल आते है नील और सफ़ेद| ये दो प्रकार के होता है एक पंखुड़ियों वालो और डबल पंखुड़ियों वाला |
जैसे की इसके नाम से ही प्रतीत होता कभी न पराजित (हारने ) वाली अपराजिता |किसी भी बीमारी में इसके प्रयोग में ये पराजित नही होती |बल्कि सभी रोगों में इसका फायदा होता है |
अपराजिता के फुल् से बनी चाय पीने से सूजन और दर्द से राहत मिलती है। यह शरीर में आंतरिक और बाहरी सूजन को कम करता| क्योंकि इसमें फ्लेवोनोइड्स होते हैं, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
कुछ अध्ययनों के अनुसार, इसके अर्क का उपयोग शरीर में वसा कोशिकाओं के निर्माण को धीमा कर देता है।
अपराजेता की जड़ और बिज को बराबर मात्र में पीसकर इसका रस एक एक बूंद नाक में डालने से अधकपारी या माइग्रेन की समस्या में राहत मिलती है |
अपराजीता की जड़ को पीसकर उसमें काली मीच मिलाकर मुह में रखने से दांत दर्द में आराम होता है
अपराजीता का एंटीऑक्सीडेंट गुण आंखों की केशिकाओं में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। धुंधली दृष्टि, रेटिना क्षति आदि से छुटकारा दिलाती है।