अष्टांग ह्रदय सूत्रस्थान अध्याय ३ में ऋतुचर्या का पूरा वर्णन किया गया है उसके अनुसार सर्दियों में भोजन स्निग्ध और गुरु गुण का हो मतलब स्निग्ध और पचने में भारी चीजें हो
उसकी वजह ये है की हेमंत ऋतू में बाहर सर्दियां ज्यादा होने ठंडी हवा चलने की वजह से हमारे शरीर के रोमछिद्र सिकुड़ जाते है जिससे शरीर के अंदर की ऊष्मा अंदर ही रह जाती है
जिससे फलस्वरूप जठराग्नि प्रदीप्त होता है इसलिए अगर हम इसे आहार रूपी इंधन नही देगे और जब अग्नि प्रदीप्त होगी तो ये हमारे शारीर के धातुवों का ही छय करने लगता है