सर्दियों में स्निग्ध और भारी भोजन क्यों करना चाहिए 

अष्टांग ह्रदय सूत्रस्थान अध्याय ३ में ऋतुचर्या का पूरा वर्णन किया गया है उसके अनुसार सर्दियों में भोजन  स्निग्ध  और गुरु  गुण का हो मतलब स्निग्ध और पचने में भारी  चीजें हो  

अगर बात करें स्वाद  की तो खाने में मधुर अम्ल और लवण  स्वाद युक्त होना चाहिए मधुर मतलब मीठा स्वाद अम्ल मतलब खट्टा स्वाद और लवण मतलब नमक या खारा स्वाद 

सर्दियों में मौसम में हमारी जठराग्नि तेज होती है इसलिए हम कुछ भी खाते हैं वो आसानी से पच जाता है और जल्दी पच जाता है  

अब सवाल ये है की उस समय हमारी जठराग्नि क्यों तीव्र होती है ?

उसकी वजह ये है की हेमंत ऋतू में बाहर सर्दियां ज्यादा होने  ठंडी हवा चलने की वजह से हमारे  शरीर के रोमछिद्र सिकुड़ जाते  है जिससे शरीर के अंदर की ऊष्मा अंदर ही रह जाती है 

जिससे फलस्वरूप  जठराग्नि प्रदीप्त होता है इसलिए अगर हम इसे आहार रूपी इंधन नही देगे और जब अग्नि प्रदीप्त होगी तो ये हमारे शारीर के धातुवों का ही छय करने लगता है  

इसलिए सर्दियों में भारी और स्निग्ध भोजन करने की सलाह दी जाती है।इस वक़्त हम जितना भी खाएं पच जाता है 

सर्दियो में बनाएं सेहत,जाने खानपान के जरूरी नियम