Giloy health benefits
एक ऐसे दवा जो वात पित्त और कफ तीनो पर काम करे आज उसके बारे में जानकारी देगे ।(Giloy health benefits) किन किन रोगों में कैसे लेना है ये सब इस आर्टिकल के जरिये बतायेगे।ये एक ऐसी दवा है जो अमृत की तरह काम करती है ।गिलोय एक तरह से अमृत की तरह हमारे स्वास्थ्य के लिए होता है इसलिए इसे अमृता नाम से भी जाना जाता है|इसे हम गिलोय अमृता गुडुची गुडवेल गलो भी कहते है ।
Giloy in –
Hindi : गडुची, गिलोय, अमृता
Sanskrit: वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया
Bengali – गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), 7गिलोय (Giloe)
Oriya: गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)
Kannada: अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)
Gujarati: गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)
English: इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora); टिनोस्पोरा (Tinospora)
Goa : अमृतबेल (Amrytbel)
Tamil: अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)
Telugu: तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)
Nepali: गुर्जो (Gurjo)
Punjabi: गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)
Marathi: गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)
Malayalam: अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)
Arabic: गिलो (Gilo)
Persian: गुलबेल (Gulbel), गिलोय (Giloe)
Giloy health benefits
इसका नाम अमृता ऐसे ही नही रखा गया है ये वास्तव में प्रकृति का दिया हुआ अमृत है है । गिलोय की बेल बहुत तेजी से बढ़ती है। गिलोय के पत्ते पान की पत्तो की तरह बड़े आकार के हरे रंग के और चिकने होते हैं। अगर इसे पानी वाले जगह पर लगाया जाए यानी की जहां पर पानी का हमशा पौधे को मिलता रहे तो तो पत्तों का आकार बड़ा हो जाता है।
गिलोय के फूल गर्मी के मौसम में खिलते हैं। ये छोटे-छोटे गुच्छों में निकलते हैं। गिलोय के फल मटर की तरह चिकनेऔर अण्डाकार गुच्छों में होते हैं। फलों के पकने के बाद इसके फलों का रंग लाल हो जाता है। गिलोय के बीज का रंग सफेद होता है। इसे हैम बहुत ही आसानी से घर मे एक छोटे से गमले में भी उगा सकते हैं।
भारत के अति प्राचीन आयुर्वेद के ज्ञाता वैद्य आचार्य चरक (Acharya Charak) को (Indian Father Of Medicine) भारतीय औषधि विज्ञान का पिता कहा जाता है। आचार्य चरक ने अपने ग्रंथ चरक संहिता (Charak Samhita) में गिलोय के गुणों का बहुत वर्णन किया है।
आयुर्वेद में इसे लघु स्निग्ध कहा गया है इसका रस तिक्त है ।यह प्रकृति में गरम होती है गिलोय की पत्तियों और तनों से सत्व निकालकर उपयोग में लाया जाता है। गिलोय को आयुर्वेद में इसे गर्म तासीर का माना जाता है। यह तैलीय होने के साथ साथ स्वाद में कडवा और हल्की झनझनाहट लाने वाला होता है।
गिलोय बहुत तरह के बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है गिलोय के गुणों की संख्या बहुत बड़ी है। आचार्य चरक के अनुसार, गिलोय, त्रिदोष( वात, कफ, पित्त ) वात दोष मिटाने वाली, खून को साफ करने वाली, इम्युनिटी बढ़ाने वाली, बुखार या ज्वर मिटाने वाली, खांसी मिटाने वाली प्राकृतिक औषधि है। आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय का उपयोग डेंगू,बेहोशी मलेरिया , कफ, पीलिया, धातु विकार,कालाजार / फीलपांव या हाथीपांव, विषम ज्वर, एलिफेंटिएसिस टाइफाइड, उल्टी, यकृत निष्क्रियता, तिल्ली बढ़ना, सिफलिस, एलर्जी सहित और भी कई तरह के त्वचा के रोग, झाइयां, झुर्रियां, कुष्ठ रोग आदि के उपचार में किया जाता है।
इसके अलावा, पेट में कीड़े होने की समस्या, रक्त में खराबी होना,सूजन कम करने, लो ब्लड प्रेशर,टीबी, मूत्र रोग, हार्ट की बीमारियों, एलर्जी, पेट के रोग और स्किन की बीमारियों से राहत मिल सकती है। गिलोय से भूख भी बढ़ती है गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं।।
गिलोय में ग्लूकोसाइड (Glucoside) , गिलोइन (Giloin), गिलोइनिन (Giloininand), गिलोस्टेराॅल तथा बर्बेरिन (Berberine) नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं।वैसे तो गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं।
लेकिन भारत में कड़वी गिलोय का ही उपयोग दवा बनाने में किया जाता है। गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसी के गुणों को ग्रहण कर लेती है। इसीलिए नीम के पेड़ पर लगने वाली गिलोय को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ऐसी गिलोय को ”नीम गिलोय (Neem Giloy)” भी कहा जाता है।ऐसा भी कहा जाता है कि गिलोय जिस पेड़ पर उगती है, न तो उसे मरने देती है और न ही सेवन करने वाले को, शायद इसीलिए योग और आयुर्वेद के विद्वानों ने उसे अमृता कहा है।
आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Disease in Hindi)
गिलोय के औषधीय गुणवत्ता आँखों के रोगों में बहुत आराम दिलाने में सहायता करते हैं। इसके लिए 10 ml गिलोय के रस में 1-1g शहद और सेंधा नमक मिलाकर अच्छी तरह से खल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाना है । इससे आंखों का अँधेरा छा जाना , चुभन, और काले तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।
गिलोय जूस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 ml काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली का चूर्ण और शहद मिलाकर सुबह और शाम लेने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है। गिलोय का सही यटिके से और सही मात्रा में सेवन से ही आंखों के उपचार में फायदा दिल सकता है तो इस बात का ध्यान हमेशा दे ।
डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes in Hindi)
गिलोय में शरीर में शुगर और लिपिड के लेवल को कम करने का विशेष गुण होता है। इसके इस विशेषता के कारण यह डायबीटिज टाइप 2 के उपचार में बहुत सहायक होता है।
डायबिटीज के रोगियों के लिए ये शरीर में नेचुरल इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ा देती है। डायबिटीज के ऐसे मरीज जिनको Type 2-Diabetes की समस्या है, उनको गिलोय के सेवन से बहुत लाभ मिल सकता है। गिलोय में काफी मात्रा में हाइपोग्लाईकैमिक एजेंट पाए जाते हैं, जो की ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में काफी मदद कर सकते हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर भी गिलोय के जूस के सेवन करने का सलाह देते है ।
रयूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए गिलोय (Giloy For Rheumatoid Arthritis)
इम्यूनिटी बढ़ाए (Immunity Booster)
अगर कोई व्यक्ति लगातार बीमार रहता है तो, इसकी वजह उसकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता या कमजोर इम्यूनिटी भी हो सकती है।इन समस्याओं पर तुरंत ध्यान न दिया गया यो ये बहुत खतरनाक साबित होती है हमारे स्वास्थ्य के लिए ।गिलोय से खून को साफ करके, हेल्दी कोशिकाओं को बढ़ाकर करके,बैक्टीरिया को मारकर, शरीर को हानि पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़कर रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ाया जा सकता है।
इस तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए हम अक्सर डॉक्टर के चक्कर लगाते है और समय और पैसे दोनों बर्बाद करते है इसको जगह , आप गिलोय के जूस का सेवन आसानी से शुरू कर सकते हैं। गिलोय के अन्य फायदों में है ये शरीर से बुरे टॉक्सिन को निकाल देता है। नपुंसकता (इनफर्टिलिटी )की परेशानी को दूर करता है।मूत्रनली के संक्रमण(इन्फेक्शन) को हटाता है ।
लिवर से संबंधित बीमारियों से लड़ता है।आयुर्वेद में गिलोय को रसायन यानी ताजगी लाने वाले तत्व के रुप मे रखा गया है। गिलोय शरीर में जरूरी सफेद सेल्स की कार्य करने की क्षमता बढ़ाती है। यह शरीर के अंदरूनी सफाई करके लीवर एवम किडनी के कार्य को सुचारु बनाता है। यह शरीर को बैक्टिरिया जनित रोगों बीमारियों से सुरक्षित रखता है। इसका उपयोग सेक्स से संबंधी रोगों के इलाज में भी किया जाता है।
पीलिया को ठीक करता है (Cure For Jaundice)
गिलोय पीलिया मव बहुत अच्छा काम कर्ता है अगर आप या आपका कोई निकटतम या जान पहचान वाला पीलिया की बीमारी से परेशान है तो आप गिलोय का सेवन कर सकते हैं। गिलोय के 20-30 पत्ते लेकर अच्छे से पीस लें। एक गिलास ताजी छांछ लेकर पेस्ट को उसमें मिला लें। दोनों को एक साथ छानने के बाद उसे पीलिया मरीज को पिला दें।उसे आराम मिलेगा
कान से मैल या ईयर वैक्स निकालना।
कई बार कान से मैल या ईयर वैक्स निकालना काफी मुश्किल काम हो जाता है। ऐसे में केभी कभी इस्तेमाल होने वाले ईयर बड्स भी किसी काम नहीं आते। ऐसी स्थिति में गिलोय का प्रयोग I एक अच्छा विकल्प हो सकता है।गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का जमा मैल (कान की गंदगी) बाहर निकल जाता है। कान के बीमारी से राहत पाने के लिए सही तरह से इस्तेमाल करने पर गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) मिल सकते हैं। गिलोय का औषधीय गुण बिना कोई नुकसान पहुँचाये कान से मैल निकालने में मदद करते हैं, इससे कानों को नुकसान भी नही होता है।
ईयर ड्रॉप की तरह प्रयोग
गिलोय ईयर ड्रॉप बनाने के लिए, थोड़ी सी गिलोय लेकर उसे पानी में पीस लें और गुनगुना गर्म कर लें। अब इसे ईयरड्रॉप की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। दिन में दो बार इसकी कुछ बूंदों को कान में डाला जा सकता है। इससे कान में जमा हुआ पुराना और जिद्दी मैल या ईयर वैक्स भी बाहर निकल आएगा।
गठिया और आर्थेराइटिस में लाभकारी
रयूमेटाइड आर्थराइटिस को हिंदी में आमवातीय संधिशोथ कहा जाता है। ये एक प्रकार का ऑटो इम्यून गठिया होता है। गिलोय के नियमित सेवन से रयूमेटाइड आर्थराइटिस के कई मरीजों ठीक होते देखा गया है। गिलोय में एंटी ऑर्थराइटिक और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं।रयूमेटाइड आर्थराइटिस के उपचार के लिए गिलोय और अदरक को एक साथ मिलाकर सेवन किया जाता है। जबकि जोड़ों या गठिया के दर्द के उपचार के लिए गिलोय के तने या पाउडर को दूध के साथ उबालकर पीने की सलाह दी जाती है।
इसमे सूजन को कम करने के गुण पाया जाता है जो कि आर्थेराइटिस और गठिया से बचाव में अत्यधिक फायदेमंद होता है। गिलोय के पाउडर को गुगुल और सौंठ की एक समान मात्रा के साथ मिलाकर दिन में दो बार खाने से भी इन बीमारियों में काफी फायदा मिलता है। इसी तरह ताजी पत्तियां या तना उपलब्ध हों तो इनका रस पीने से भी आराम मिलता है।
ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाना
बहुत लंबे समय से रहने वाले बुखारको ठीक करने में गिलोय बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्यानको तेजी से बढ़ाता है ।यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के इलाज में बहुत सहायक है। रोजाना गिलोय के इस्तेमाल से मलेरिया से बचा जा सकता है। गिलोय का चूर्ण और शहद दोनों को एक साथ मिलाकर उपयोग करना चाहिए।
पाचनतंत्र सुधारने में सहायक
शरीर में पाचनतंत्र की प्रक्रिया को सुधारने में गिलोय बहुत ही कारगर उपाय है।आंवला चूर्ण या मुरब्बे को गिलोय चूर्ण के साथ खाने से गैस की समस्या में लाभ मिलता है। गिलोय के रस को छाछ(मट्ठा बटरमिल्क) के साथ मिलाकर पीने से अपाचन की समस्या का निदान होता है गिलोय बवासीर से भी मुक्ति दिलाता है।
मेमोरी पावर और मष्तिष्क को रिलैक्स करता है ।
गिलोय एक एडाप्टोजेनिक औषधि है अत:मानसिक दवाब और चिंता को दूर करने के लिए इसका प्रयोग बहुत लाभकारी है। गिलोय चूर्ण ,अश्वगंधा और शतावरी के साथ इस्तेमाल करने से मेमोरी पावर बढ़ती है यह शरीर और मस्तिष्क पर उम्र के बढ़ने के प्रभाव को धीमा करता है।
skin disorder me faydemand या फंगस जैसी समस्या में फायदेमंद होती है .क्योकि ये सभी तरह क फंगल इन्फेक्शन को खत्म कर देती है /एसिडिटी की समस्या में फायदेमंद है खून को साफ करने में चरम रोग में खून से रिलेटेड सभी समस्या का समाधान करता है
गाउट की समस्या गाउट की समस्या में फायदेमंद होता है वात से संबंधित सभी बिमारियों में फायदेमंद है।
वजन कम करने मोटापा में सहायक
गिलोय सूजन कम करने में लाभदायक होता है और जिनको सूजन की वजह से मोटापा होता है उनके लिए गिलोय का सेवन बहुत फायदेमंद है ।मोटापा कफ का रोग है और गिलोय कफ प्रवृति को खत्म करने में बहुत सहायक होता है।
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