cancer and lifestyle according to Ayurveda|आयुर्वेद के साथ कैंसर से कैसे लडें

किसी को जीवन में मृत्यु का एहसास करने के लिए केवल एक शब्द ही काफी है और वो है कैंसर| कैंसर का नाम सुनते ही लोग इतना डर जाते हैं जैसे उनका मरना निश्चित है | वो विश्वाश कर लेते है की वो अब बचेगे नही और ये सबसे बड़ी बीमारी की वजह है | कैंसर के नाम पर हर रोज कोई न कोई रिसर्च कोई न कोई बात सुनने को मिलती है , की इससे कैंसर होता है उससे कैंसर होता है कुछ वैज्ञानिको ने तो यहाँ तक कहा पुरुषो के शुक्राणु से भी कैंसर होता है | कंसर की वास्तविक कारन कोई नही जानता है .माडर्न साइंस ने तो सूरज की किरणों समुन्दर के पानी को भी कैंसर का कारन बताया है .दरअसल कोई नही जनता है की कैंसर होता क्यों है| सभी रिसर्च सिर्फ कैंसर का डर फैलाती है लोगो में| कैंसर का डर फैलाना खुद एक भयानक बिमारी है और नैतिकता के हिसाब से ज्यादा कहर ढाने वाली है ।5 natural fat burner weight loss tea| चर्बी को मक्खन की तरह पिघलाएगी ये चाय

कैंसर के नाम पर ये जो नई नई रिसर्च आ रही क्या वो सब गलत है उनके कारण सब गलत होते है ।8 सितंबर 2013 में एक प्रमुख बायो टेक्नोलॉजी कंपनी ने बताया था 10 में से 9 रिसर्च जो मसहूर पत्रिकाओ में छपती है वो बेकार होती है ।वो रद्दी में फेकने लायक होती है उसका कोई भी विशेष वैज्ञानिक आधार नही होता है | मॉडर्न साइंस में exact reason कैंसर का नही पता है ।इसलिए अपने बहुत सी बातें सुनी होगी ये खाने से वो पिने से कैंसर होता है पर बहुत से ऐसे लोग है जो लोग जिंदगी भर शराब धूम्रपान करते है| पर कैंसर नही होता पर ऐसा लोग को कैंसर हो जाता जो जिन्दगी भर नियम से रहे है ।इसलिए कैंसर का कोई निश्चित कारण नही है | इसका मतलब ये नही है की आप शराब और धुम्रपान करना सुरु कर दे ये किसी भी हालत में आपके शरीर के लिए अच्छी नही है |acidity problem solution |एसिडिटी के घरेलु उपाय

आयुर्वेद के अनुसार कैंसर क्यों होता है .

आयुर्वेद के अनुसार जब भी आपके जीवन में बैलेंस बिगड़ेगा तो रोग होगा वो गैस हो सकता एसिडिटी से लेकर कैंसर हो सकता है इसे चीज को सुश्रुत ऋषि के अनुसार जिस आदमी की हर चीज बैलेंस है वात पित्त कफ बैलेंस है अच्छे से खाना हजम होता है पेट साफ़ होता है जिनकी सभी इन्द्रियाँ अच्छे से काम करते है जिनका मन बैलेंस है वो स्वस्थ है जब जब बैलेंस बिगड़ेगा तो बीमारियाँ होगी .इसलिए सभी बिमारियो से बचने का यही तरीका है हमेसा सम रहे अति पर मत जाओ , न बहुत ज्यादा भोगी न बहुत ज्यादा योगी बनो |

आप कैंसर का डर अपने दिमाग से निकाल फेकिये और अपनी जिन्दगी को एन्जॉय करिये खुश रहिये बैलेंस तरीके से सब कुछ खाइए .योग करिये प्राणायाम करिये |All about monthly cycle

चरक ऋषि के अनुसार जो बीमारी हुई नही या फिर हो भी गई है उसके बारे में टेंशन लेने रोने से वो बीमारी और तेजी से बढ़ाएगी | कैंसर और कैंसर का डर जो भी फैलाया गया है जैसे कैंसर हो जायेगा तो मै क्या करुगा कैंसर से ऐसा होगा वैसा होगा और यही बीमारी का प्रमुख कारन है | आपकी विल पॉवर अच्छी है तो आप किसी भी बीमारी से लड़ सकते है | ये जरुरी नही की कैंसर होने के बाद आपकी मौत हो जाये |जरूरी नही की बीमारी में मौत हो जाये| कैंसर का डर अपने दिमाग से निकाल फेकिये | क्योकि बीमारी से ज्यादा खतरनाक इसका डर है .

क्या जरूरी है आप या बिमारी का नाम ?

आयुर्वेद हमेसा ये सवाल पूछता है क्या जरूरी है आप या बीमारी का नाम, बीमारी का नाम या आपका शारीर आयुर्वेद के अनुसार बिमारियां असंख्य है और हर बीमारी का नाम दिया जाये इसकी कोई जरूरत नही है |उस बीमारी के कारन को जानना जरुरी है अगर किसी को सर में दर्द है उसे माइग्रेन बोल दिया गया है किसी भी डॉ के पास जाकर माइग्रेन का इलाज कराएगा तो ठीक नही होगा और परेसान होगा क्योकि उसके कारन की बात ही नही की गई |माइग्रेन का कारन एसिडिटी या रात में ज्यादा देर जागने की आदत हो सकती है और मल रोककर रखने की आदत से भी सर में दर्द हो सकता है तो ये सब कारन पर अगर काम नही किया गया तो माइग्रेन कभी सही नही होगा अगर उस कारन को ठीक किया गया तो सर दर्द जरुर ठीक हो जायेगा बस यही नियम कैंसर के साथ भी है |

आयुर्वेद के अनुसार जो तकलीफ आपको है उसको कोई नाम देने से अच्छा है उस बीमारी के कारन का इलाज कर दो बीमारी अपने आप चली जायेगी अगर आपको कोई बीमारी है तो अपने नजदीकी अयुर्वेदिक अस्पताल में जाकर उस बीमारी का कारन जानिए और उसका इलाज करिए | तो कैंसर क्या है आजका विज्ञानं उसक बारे में नही जनता .आयुर्वेद में बताये गये दिनचर्या और रितुचार्य के कुछ बेसिक नियमो का पालन करिये जिससे आप बिमारियों से दूर रह सके आपका शारीर स्वस्थ रह सके |

कैंसर में क्या क्या दिनचर्या होने चाहिए जिससे की बीमारी होने के बाद भी हम नार्मल लाइफ जी सकें .क्या क्या खानपान होना चाहिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए :

कैंसर की दिनचर्या कैसे हो ?

कैंसर के एक दिन में क्या क्या खान पान आहार दवा ध्यान और अन्य चीजों के बारे में कैंसर की दिनचर्या के बारे में जानेगे | चरक ऋषि के अनुसार संसार की सभी चीजों में भोजन शरीर के लिए सर्वश्रेष्ठ है | यही बात भागवत गीता में भी कही गई है अन्न से ही सभी प्राणियों की उत्पत्ति और उससे ही सबका शरीर बनता है .

1 हरण

हरण कैंसर की गांठो में सर्वश्रेष्ठ है |आयुर्वेद में हरीतकी को सबसे सर्वश्रेठ दवाइयों में एक कहा गया है खाशकर की कैंसर में क्योकि हरण हमारे शारीर में जहाँ कही भी हवा बिगड़ी हुई है उनको सही कर देती है और जहाँ कही भी गांठे है उन गांठो को सही करती है अगर ज्यादा नमक खाने से कोई बीमारी हुई है और खून ख़राब हो होकर गाँठ बनना उन सब बिमारियों में हरण सर्वश्रेठ है इसलिए कैंसर में सुबह उठने के बाद जब आप नित्यकर्म से निवृत्त हो जाये तो हरण को पीसकर रख ले और गर्मी के कारन आपको बीमारी हुई है तो इस हरण को आपको घी के साथ उपयोग करना है .100 ग्राम हरण को घी में डालकर भुन ले और डिब्बे में भर कर रख दीजिये अगर आप ठन्डे स्वाभाव के है या ठंडी के कारण ज्यादा बीमारी होती है तो एरंड के तेल में भुन ले इस तरह रोज सुबह शाम भोजन के पहले या फिर खाली पेट खाना गांठे कम करने में और वायु के अनुलोमन में बहुत फायदेमंद है .या फिर कब्ज होने लगता है शरीर में कब्ज इकठ्ठा होने लगता है तब हरण के सेवन से मल निकलता है शरीर से | कैंसर में दिन की शुरुवात करने का सबसे अच्छा तरीका है एक चम्मच हरण खाना |

कैंसर में सुबह की सुरुवात सूरज के साथ :

सूरज की धुप कैंसर की बीमारी में आपके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण और बहुत ही ताक़तवर दवा का काम करती है |सूरज की धुप में विटामिन D होती है और विटामिन D हड्डियों को शक्ति देती है परन्तु एक और सबसे अच्छी बात विटामिन D आपके ब्रेन और दिमाग के लिए बहुत अच्छी है अगर आपके शरीर में विटामिन D कम हो जाये तो 4 गुना ज्यादा मानसिक रोग होते है |कैंसर में सूरज की धुप लेना एक बहुत बड़ी औषधि है रोज सुबह १५ से 20 मिनट सूरज की धुप में जरुर बैठिये .हमारा जो स्वस्थ्य है वो सूर्य के ऊपर निर्भर है रोज सुबह कैंसर की बीमारी में सूर्य की तरफ पीठ करके जरुर बैठना चाहिए जिससे की पीठ में धुप मिल सके |सुबह सोकर ब्रम्ह मुहूर्त में उठना आपको आरोग्य और आयुष दोनों देता है | जिनलोगो को स्वास्थ्य चाहिये या अच्छी आयु चाहिए तो उनको सूरज उगने से पहले जरुर उठना चाहिए .ध्यान देने वाली बात है सभी जानवर सूरज की रौशनी में रहते हैं उनमे से किसी को कैंसर नही होता है हम इन्सान जो कहते हैं सूर्य की धुप से बीमारी होती है ये महामुर्खता है |

प्राणायाम व्यायाम

लाखों रूपये की एक दवा जो आप खुद बना सकते है बिना किसी डॉक्टर या केमिकल से वो है एंडोर्फिन | एंडोर्फिन ध्यान करने से बनता है हमरे शारीर में | यही हमरे शारीर में कैंसर को कम करता है उसके दर्द को कम करता है सुजन को कम करने का काम करता है और अच्छा महसूस करता है |जब आप प्राणायाम करते है और जब ध्यान करते है तो एंडोर्फिन नामक केमिकल बनता है तो आपको रोज सूरज उगने से पहले 25 से 30 मिनट ध्यान करने के लिए जरुर बैठना है क्योकि जितनी भी बिमारियां है वो बुद्धि दिमाग और मन की वजह से होती है |दिमाग में होने वाले तनाव चिंता बेचैनी डर इन सभी चीजों की वजह से भी बीमारी होती है मैडिटेशन और ध्यान करने से बिमारियां खुद सही होने लगती है दिमाग के दो पार्ट भी अच्छे से बैलेंस हो जाता है रोज सुबह 25 से 30 मिनट और शाम को 25 से 30 मिनट ध्यान जरुर करना है .

तेल

Only one habbit keep you forever young | बस एक आदत जो रखे आपको हमेसा जवा

आयुर्वेद कहता है शारीर में जो भी गांठे बबनती है दर्द होता है उसकी सबसे प्रमुख वजह हवा है |अगर आपके शारीर में हवा बिगड़ी है तो दर्द होता है | कैंसर के बीमारी में बहुत तेजी से गांठ बनने लगती हैं | और बहुत तेजी से कैंसर फैलने लगता है उसका कारन हवा है | शारीर में कोई चीज बहुत तेजी से फैलती है तो ये काम हवा करती है कैंसरके सेल में भी यही होता है बहुत तेजी से शरीर में फैलने लगता है सबका कारन कही न कही हवा है ,इस हवा हा सबसे अच्छी दावा है तेल तेल वात की सबसे अच्छी दवा है |दुनियां में हवा और कफ की जितनी भी बीमारी है उसमें तेल सबसे अच्छा है खाश करके हवा के लिए | कैंसर की बिमारी में हमें तेल का उपयोग करना चाहिए

तेल के कुछ उप[योग जो कैंसर में बहुत लाभदायक होंगे ‘paan khane ke fayde aur nuksaan

नश्यकर्म

रोज तेल का नश्य करना या फिर नाक में दो दो बूंद तेल डालना |नाक में दो ड्राप तेल डालने के फायदे जानकर आप चकित हो जयेंएगे आयुर्वेद के अनुसार दो दो बूंद रोज तेल डालने से गले के ऊपर की सभी बिमारियों में आपकी सुरछा होती है दूसरा नाक हमारे दिमाग का दरवाजा है .अगर दिमाग में कोई दावा पहुंचानी है तो उसके लिए एक तारिका है वो है नाक क्योकि नाक ही हमारे सर का द्वार है हमारे गले के उपर के खाशकर ब्रेन के बीमारियों में सबसे अच्छी दवा है नाक में तेल डालना |कैंसर में हजारो तरह की चिंता मानसिक क्लेश डिप्रेशन उसमे नाक में तेल या घी डालना एक बहुत बड़ी चिकित्सा है इसे दिन में किसी भी समय कितनी भी बार किया जा सकता है ये एकदम सुरच्छित है VAAT PRAKRITI

पित्त दोष समस्या समाधान

कैंसर में तेल का कुल्ला करना

तेल का कुल्ला अर्थात चार से पांच चम्मच तेल को मुह में भरना उसे 15 से 20 मिनट तक मुह में घुमाना या फिर रखना उसके बाद थूक देना |ऐसा करने से जितने भी ओरल कैंसर है खाशक दांत मुह जीभ का गाल का कैंसर मसूढ़ों की बिमारियां उन सभी में तेल का कुल्ला एक सर्वोत्तम औषधि है ये हमारे मुह का विष निकालकर बाहर फ़ेंक देती है |जो लोग चाहते है आजीवन उनके दांत अच्छे रहे ख़राब न हो तो रोज तेल का कुल्ला करना चाहिए .गुटका तम्बाकू खाने वाले लोग जिनके मुह का साइज़ छोटा होने लग जाता है मुह में गांठे बनने की सम्भावन होती है वो तेल का कुल्ला करते है तो उनकी परेशानी ठीक हो जाती है क्योकि तेल गांठे और स्टिफनेस को ख़तम कर देता है |

तेल मालिश करना

जो व्यक्ति रोज शरीर पर तेल लगता है उसको बुढ़ापे की बीमारियाँ नही होती थकान नही होती चाहे शरिरिक हो या मानसीक हो और हवा की बीमारियाँ नही होती है .तेल हवा को नियंत्रित करता है .आँखों की बीमारी में भी लाभदायक है नींद अच्छी आती स्किन अच्छी होती है शरीर मजबूत होता है जब शरीर में रूखापन ज्यादा होती है तो रोज तेलमालिश करना कैंसर में सबसे बेस्ट आप्शन है नहाने से पहले हलके हलके हाथो से तेल मालिश करना चाहिए.

बस्ती एनिमा

Know your body type in ayurveda

आयुर्वेद में विशेष तरह के तेल है जिसमे बस्ती लेने को कहा गया है . बस्ती गुदा मार्ग मल मार्ग से आयुर्वेदिक तेल चढ़ाया जाता है .और हवा की सभी बीमारियाँ जोड़ो की बिमारियां मानसिक रोग या फिर हवा से सम्बंधित कोई भी बिमारी हो बस्ती सर्वश्रेठ है |Mobile phone ke nuksan & bachaav

नेचुरल केमो थेरेपी ;

एक ऐसी किमो थेरेपी जो पूरी तरह से नेचुरल है और free है और उसे कोई भी कर सकता है सबसे बड़ी बात उसका कोई ही साइड इफ़ेक्ट नही है |और वो है कपालभाति | कपालभाति हमारे शारीर के किसी भी तरह् की गांठ और बीमारी को ठीक करती है कपालभाति से हमारा शारीर ज्यादा से ज्यादा कार्बनडाई आक्साइड बाहर फेंकता है और ऑक्सीजनलेता है | जब भी शरीर में कार्बनडाई आक्साइड ज्यादा होता है और आक्सीजन घटता है तो कैंसर की गांठे बनती है | कपालभाति करने से शरीर में गर्मी बढ़ जाती है और वो गर्मी शारीर की गांठो को ठीक करती है एक सर्वे में बताया गया है कोई भी व्यक्तो रोज सुबह शाम खाली पेट आधा घंटा कपालभाति करता है तो उसक शारीर में कितनी भी बड़ी गांठे हो उनको पिघला देती है कैंसर के सेल को खत्म करने में मदद करेगी इसलिए कपालभाती आप जरुर करें इसे के साथ अनुलोम विलोम भस्त्रिका ये सब भी कर सकते है|

कैंसर में किस तरह का भोजन

कैंसर में किस तरह का भोजन हो कैंसर की बीमारी में सभी टेस्ट खाना चाहिए आयुर्वेद में ६ रस है मीठा खट्टा नमक तीखा कडवा कसैला ये सभी ६ रस खाना अनिवार्य है क्योकि सभी रसों का सेवन शरीर में बल बढाता है .नमक को कम मात्र में उपयोग करना चाहिए |

खाने का टाइम

कैंसर की बिमारी में या किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के लिए ये नियम है सूर्योदय के एक प्रहर बाद मतलब अगर सूर्योदय 5 बजे उगता है तो उसकके ३ घंटे बाद का समय खाना खाने का सबसे अच्छा समय है शाम का भोजन सूरज ढलने से पहले करते है तो बहुत अच्छा है| जिनकी पाचन अग्नि बहुत तेज है तो वो दोपहर में भी भोजन कर सकते है

खाने का नियम

खाना जब भी खाए उसको तिन भाग में विभाजित कर लें | आपकी जितनी भी भूख है उसका 50 % सॉलिड खाइए रोटी पापड़ आदि 25 % लिक्विड खाइए और 25 % खली रखें ताकि भोजन पाच सके .अगर इस पद्धति से खाते है तो किसी भी बीमारी में फायदेमंद है

क्या क्या खाई जा सकती है

आटे में गेहू ज्वार बाजरा मक्का .सब्जियों और फलो में ऐसे फल औ सब्जियां जो बाहर से भरे हुए है अंदर से खोखले है जैसे पम्पकिन कद्दू लौकी कोहड़ा पता वो सबसे अच्छा है ककड़ी खीरा परवल लौकी ऐसे सभो चीजें का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए |

फलों में भी ऐसे ही फल जो बाहर से भरे है और अंदर से खाली है जैसे नारियल अखरोट बादाम बेल कैथ पपीता ऐसे सभी फल और सब्जियां बहुत अच्छा है .क्योकि आयुर्वेद कहता है गांठ का अर्थ है मिटटी का धेला ये ऐसे चीजें जो बाहर से भरी है अंदर से खोखली है इनमे आकाश महाभूत ज्यादा होता है और ऐसे फल सब्जी खाने से गांठे जल्दी ख़तम होती है

चावल भी खा सकते है खाशकर चावल का पानी जरुर पीना चाहिए वो शारीर को शुद्ध करने के लिए एक बहुत बड़ी दवा है जैसे खाएं अन्न वैसा होवे मन जैस तेल में कच्ची घनी का तेल खाए रिफाइंड में न खाए नमक में सेंधा नमक का ज्यादा उपयोग करें |

तजा फलों को चबा कर खाएं डिब्बा बंद जूस से दूर रहे प्राकृतिक चीजें जितना उपयोग करेगे आपके लिए उतना अच्छा है अगर चटपटा खाने का मन है तो निम्बू और आवला खट्टी चीजों में खाइए नमक में सेंध नमक तीखा में कलि मिर्च कसैली चीजों में हरण फिटकरी इनका उपयोग कर सकते है कहने का तड़का तेल कि जगह घी में लगाये वो ज्यादा सही है क्योंकि घी शरीर से जहर को बाहर निकालने का काम करता है इसलिए खाने में घी का तड़का लगाये

नारियल पानी मुंग का पानी चावल का पानी फलों का शर्बत और गरम पानी भी बहुत अच्छी दवा है .मटके में रखे पानी या सोने का टुकड़ा डाला हुआ पानी बहुत गुणकारी होता है |

सभी फलों में आवला इस फल का जितना ज्यादा सेवन करेगे उतना अच्छा है आवला का किसी भी तरीके से सेवन कर सकते है आवला उम्र रोकने वाली दवाइयों में से एक है आवले का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें

पुरे दिन की दिनचर्या के बाद अजब आप अकेले बैठे तो कैंसर का दुःख न मनाये बल्कि अपने मन का कोई काम जरुर करें आपकी कोई हॉबी है उसे करें बीमारी को अपने दिमाग पर हावी न होने दें .अपने आप को कहीं न कही व्यस्त रखें इससे आप कैंसर के बारे में भूल जायेगे और एक नोर्मल व्यक्ति की तरह जियेंगे | यह जरूरी नही की कैंसर वाला व्यक्ति मर जायेगा

शाम का भोजन हल्का करें शाम को फिर से आधे घंटे का ध्यान जरुर करें खाना खाने के बाद थोडा टहलें उसका बाद अपनों के साथ थोडा टाइम बिताएं .

रात को सोने के लिए 10 बजे से पहले आपको सो जाना है 10 बजे के बाद हमारे शरीर में पित्त का समय सुरु होता है जिससे अनिंद्रा बेचैनी खून में गर्मी बढना इस तरह की कई समस्या शुरू हो जाती है .सोने से पहले त्रिफला खाना न भूले यह एक विशेष रसायन जो की आयुर्वेद में लगभग हर बीमारी में कारगर मानी जाती है :इसे घर में भी बनाया जा सकता है ,

इस तरह से एक सात्विक दिनचर्या आपना कर आप बिना दवाइयों के ही अपने रोग को सही कर सकते है |

Leave a Reply