Only one habbit keep you forever young | बस एक आदत जो रखे आपको हमेसा जवान
आयुर्वेद में दिनचर्या नाम से एक अध्याय है जिसमे कहा गया है की अपनी दिनचर्या में कुछ आदतें शामिल कर ले तो आप को सेहत के बहुत सारे फायदे मिलेगे .उनमे से एक आदत के बारे में यहाँ हम बतायेगे वो है अभ्यंग(benefits of oiling) जिसे आम बोलचाल की भाषा में हम तेल मालिश कहते हैं .अगर आप लम्बे समय तक अपना शरीर एकदम जवान बनाये रखना चाहते है स्वस्थ रहना चाहते है बिमारियों से दूर रहना चाहते हैं तो आयुर्वेद की जो एक आदत है उसे आपको रोज करना चाहिए उसका नाम है अभ्यंग.
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आज हम अभ्यंग के बारे में जानकारी लेगे उसके फायदे उसकी की विधि कौन कौन सी स्थिति में अभ्यंग नही करना चाहिए पूरी हम जानकारी इस आर्टिकल में बतायेगे
Know your body type in ayurveda
अभ्यंग क्या होता हैं?
अभ्यंग शब्द का अर्थ शरीर पर तेल घी वासा मज्जा किसी भी चीज से रगड़ना लगाना या घिसना इसे आयुर्वेद की भाषा में अभ्यंग कहा जाता है आम बोल चाल की भाषा में तेल ज्यादा प्रसिद्ध है इसलिए इसे तेल मालिश भी कहा जा सकता है | तेजपत्ता के फायदे उपयोग और नुकसान
अभ्यंग के फायदे
इसके १२ मुख्य फायदे आयुर्वेद में बताये गए हैं आप अगर रोज अभ्यंग करेगे तो आप भी वो फायदे ले सकते है तो आइये जानते है कौन से १२ फायदे है जो अभ्यंग से हम पा सकते है
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1) जराहर (बुढ़ापा देर से आना )
तेल मालिश और रोज मालिश करने से बुढापा जल्दी नही आता इसका मतलब उम्र बढ़ने वाले रोग बहुत देर से आते है शरीर लम्बे समय तक जवान रह्ता है मतलब की आजकल की भाषा में कहे तो एंटी एजिंग का काम करता है मालिश .मालिश करने से बुढ़ापा के लछन देर से आते है . शरीर लम्बे समय तक जवान रहता है.और हमारे शारीर की जो धातुए है उनका छय जल्दी नही होता है उम्र बढ़ने के कारण जो धतुवो का छय होता है वो छय कम होने के कारन हमारा शरर लम्बे समय तक काम करता रहता है और आप लम्बे समय तक जवान रहना चाहते हैं इसलिए रोज तेल मालिश जरुर करिए | अपराजिता के फायदे और नुकसान
वातहर (वायु को हरने वाला)
वायु के कारन जो भी समस्या होती है उन समस्या से अभ्यंग बचाता है और अगर समस्या हुई है तो ख़त्म भी करता है.वायु की वजह से ८० से ज्यादा रोग होते है .जैसे त्वचा के अंदर सूखापन(dryness) जोड़ो का दर्द होना उम्र के पहले शरीर कमजोर होना हाथ में कम्पन होना.इन सब समस्याओ को नियंत्रण करता है ये.आयुर्वेद में 5 तरह की इन्द्रियों में त्वचा सबसे मुख्या स्थान है वायु का जब आप स्किन में तेल लगते है तो पुरे शारीर की वायु नियंत्रित होती है .हमारे शरीर का सबसे बड़ा ऑर्गन स्किन है हमारी त्वचा ने हमारे पुर शारीर को ढक कर रखा है इसलिए जब हम स्किन पर कुछ लगाते है तो उसका असर पूरे शारीर पर पड़ता है .इसलिए रोज तेल मालिश करना वायु को नियंत्रित रखने कि सबसे अच्छी दवा है 40-45 के बाद जब वायु तेजी से बढती है उस समय अभ्यंग बहूत फायदेमंद है
दृष्टि प्रसाद कारण (आंखों की रोशनी बढ़ाना)
जो लोग अपनी आँखों को लम्बे समय तक स्वस्थ रखना चाहते है अपनी आँखों में कोई समस्या नही चाहते है उनको रोज तलवे में मालिश करना चाहिए .रात में सोते समय या स्नान से पहले मालिश करन आँखों के लिए लाभदायक है .आयुर्वेद में मुख्या रूप से तिन जगह पर रोज तेल मालिश करना ही चाहिए सर कान और पैर .इन तिन जगह पर रोज तेल मालिश करेगे तो ये आँखों के लिए बहुत फायदेमं है
पुष्टिकरण (बॉडी बिल्डिंग शरीर बलशाली बनाना
अगर आपको शारीर को ताक़तवर बनाना है तो रोज मालिश करना चाहिए पहले के लोग जो पहलवान थे वो तेल मालिश जरुर करते थे इसलिए शरीर को बलशाली बनाने के लिए तेल मालिश जरुर करें
आयुष कर (आयु बढ़ाने वाला )
अभ्यंग आयु बढाने वाला होता है ,आज के समय में सबकी यही इच्छा है की जब तक जिन्दा है.तब तक अपने हाथ पैर पर रहे बुढ़ापा बिस्तर में न काटना पड़े अगर आपको भी भी ये चिंता है तो रोज तेल मालिश करने की आदत डाल लीजिये तेल मालिश रोज करने से जब तक आप जिन्दा रहेगे आपके हाथपैर मजबूत बने रहेगे |
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स्वप्नकर (अच्छी नींद आना )
ऐसे लोग जिनको नींद नही आती है करवाटे बदलते रहते है .रात भर कुछ न कुछ करते रहेगे नींद ही नही आयेगी .उम्र बढने के साथ नींद नही आती दिमाग में विचार चलते रहते .या फिर गहरी नींद नही आती है .अगर नींद अति भी है तो तुरंत टूट जाती
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त्वचा की सुन्दरता के लिए
अगर आप सुंदर मुलायम और चमकदार त्वचा चाहते है तो तेल मालिस जरुर करिये.त्वचा वायु का मुख्य स्थान है तेल मालिश करने से वहा की वायु नियंत्रित रहती है शरीर पर कालापन या ज्यादा सूखी त्वचा होती है तेल मालिश करने से लेपन दूर होता है वहा की वायु नियंत्रित रहती है और प्राकृतिक पित्त वह की बढती है ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है इसलिए त्वचा में चमक आ जाती है
क्लेश सहत्व( लम्बे समय तक कठिन परीश्रम करना)
आप कोई भारी भरकम काम जिम में वर्कआउट करना जो भी काम करते है उस समय आपका स्टैमिना अच्छा हो ज्यादा टाइम तक कर पाए उसक लिए मालिश करना बहुत फायदेमंद है .अगर आप दौड़ते है और थोडा दौड़ने पर ही पैर में दर्द होने लगता है तो रोज आप तेल मालिश करिये उससे आपके पैर में दर्द नही होगा .आप जैसे ही तेल मालिश करना सुरु करेगे जो भी क्रिया कलाप है दौड़ना व्यायाम करना उन सबका टाइम बढ़ जायेगा आपको कोई परेसानी महसूस नही होगी कोई भी काम आप तिन गुना ज्यादा समय तक कर पायेगे
अभिगात सहतव (इंजरी resistance)
किसी भी तरह का चोट लग जाने पर जो समस्या होती है अगर आप तेल मालिश करते है हमेसा तो छोटी मोटी चोट से आपको समस्या नही होगी तेल मालिश से आपका शरीर इतना स्ट्रोंग हो जाता की छोटी मोटी चोट किसी तरह की समस्या उत्पन्न नही करती हैं .
कफ वात को कण्ट्रोल करना
सात तरह की प्रकृति होती है उनमे से कफ वात वालों को रोज तेल मालिश करना चाहिए .क्योकि वात की 80 और कफ की 20 मतलब 100 से ज्यादा बीमारियाँ ठीक करने की ताकत एक तेल मलिश करने से होता है
प्रजावरना बलप्रदा (ताक़त देना )
अगर ताक़त चाहिए तो रोज तेल मालिश करना चाहिए
श्रमहर (थकान मिटाने वाला)
जो लोग भी शरिरिर्क मानसिक काम करते है और अपने काम करने का समय बढाना चाहते है ज्यादा समय तक लम्बे समय तक बिना थके काम करना चाहते है तो उसके लिए रोज अभ्यंग करना आयुर्वेद में कहा गया है .मालिश थकान मिटाती है औरहै और शरीर को आराम देती है जिससे आप का काम करने का समय बढ़ जाता है और थाकान भी नहीं होती है।
तेल मालिश करने का समय
तेल मालिश करने का समय आयुर्वेद के अनुसार रोज सुबह उठने के बाद मल त्याग करने के बाद दंतमंजन करने के बाद तेल मालिश कर ले।अगर आप व्यायाम करते है तो तेल मालिश व्यायाम से पहले करना चाहिए .अगर आप व्यायाम करते है वाक पर जाते है तो तेल लगाकर तब व्यायाम या सुबह की सैर पर जाये .तेल मालिश रोज स्नान से पहले और व्यायाम से पहले करना चाहिए
कौन से तेल से मालिश करना चाहिए
वात वालो के लिए तिल और सरसों का तेल अच्छा है कफ वालो के लिए भी तिल और सरसो का तेल अच्छा है। पित्त वालो के लिए नारियल का तेल अच्छा माना गया है ।
मालिश करने की समय सीमा।
तेल मालिस करने का भी समय होता है कटने देर तक करने से लाभ होता है ।5 मिनट तक तो तेल मालिश करना ही चाहिए क्योकि 5 मिनत तक तेल मालिश करने से तेल हड्डियों तक पहुच जाता है मिनिमम 5 मिनत तक पुरे शारीर की मालिश करनी चाहिए जिनके पास टाइम है वो १५ मिनट से 35 मिनट तक मालिस कर सकते हैं
मालिस करने की दिशा कैसे होनी चाहिए
आयुर्वेद में मालिश अनुलोम गति में कहा गया है ।मतलब ऊपर से नीचे की तरह आप अगर हाथ मालिश कर रहे है यो ऊपर से नीचे की तरह मालिश करते हुए आएंगे
कुछ जगह पर प्रतिलोम गति कहा गया है जहा आपका ह्रदय है उस दिशा में तेल मालिश करना चाहिए ।
जोड़ों पर मालिश हमेसा राउंड में करना चाहिए सर्कुलर मोमेंट में क्लॉक वाइज मालिश करना चाहिए।
मालिस के लिए तेल हल्का सा गुनगुना लेना चाहिए वो ज्यादा फायदेमंद होता है
परन्तु अगर सर पर मालिश कर रहे है तो बॉडी टेम्परेचर के बराबर ही तेल का तापमान होना चाहिए।
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कान में तेल डालना सही है या गलत
जब मालिश कर रहे है उस समय कान की कोई बीमारी नही है तो तेल डाल सकते है अगर पश निकल रहा है इस तरह की समस्या में तेल नही डालना चाहिते 3 मिनट तक कान में तेल डालकर रख सकते हैं ।
उध्वर्तन उबटन
चना का आता जौ का आता या बना बनाया उबटन लेकर रगड़ने या घसने से स्किन की चमक और बढ़ जाती है खाशकर मोटे लोगो वजन कम करने में मदद मिलता है
पतले लोग सिर्फ लेप लगाकर ही हल्के गुनगुने पानी से नहा ले
तेल मालिश करने का नियम
अगर अपने खाना खाया है आपका खाना हजम नही हुआ है तब आपको तेल मालिश नही करना चाहिए
अगर आपको fever है उस समय मालिश नही करना चाहिय्रे
अगर बहुत ज्यादा कफ है उस समय तेल मालिश नही करना चाहिए कुछ कंडीशन में तेल मालिश नही करना चाहिए ।
जिस तरह चमड़े को रोज तेल लगानेसे चमड़ा मुलायम हो जाता है जैसे मिट्टी को घड़े को तेल लगाने से मिट्टी का घड़ा मजबूत हो जाता है मिटटी का घडा को रोज तेल लगाने से मजबूत हो जाता है गाड़ी में तेल डालने से आसानी से चलने लगती है इसे तरह हमारी शारीर रूपी गाड़ी पर अगर रोज तेल मालिश करते रहे तो लम्बे समय तक मजबूत और मुलायम आउट चमकदार बनी रहेगी