VAAT PRAKRITI|वात प्रकृति शारीरिक,मानसिक लक्षण समस्या उपचार

आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार हमारा शरीर (nature of body) पंचतत्‍वों से मिल कर बना है । ये पांच तत्‍व है- मिट्टी, पानी, हवा, अग्नि और आकश । इन पंचतत्‍वों से शरीर में तीन मूलभूत धातुओं का निर्माण होता है जिसे वात, कफ और पित्‍त कहते हैं । know-your-body-type-in-ayurveda/यही तीन मूलभूत धातु शरीर को निरोग रखने अथवा रोगग्रस्‍त करने के कारन बन सकते हैं । यदि ये तीनों मूलभूत धातु सम अवस्‍था में हो तो शरीर निरोग रहता है किन्‍तु इसकी समता में असंतुलन आ जाये तो शरीर में रोग के लक्षण उभर आते है । आज के इस आर्टिकल में हम वात धातु के बारे में जानकारी देगे जब तक ये धातुएं सम अवस्था में रहती है तब तक इन्हें धातु का नाम दिया गया है जब यही धातुए विषम अवस्था में चली जाती है मतलब बिगड़ जाती है तो इनको वात दोष के नाम से जाना जाने लगता है और ये शरीर में बहुत सारे रोग होने का कारण बनती है .

कफ प्रकृति

पित्त प्रकृति

पित्त दोष समस्या निवारण

“अल्पकेश: कृशो रूक्षो वाचालश्च मानस :।
आकाशचारी स्वप्नेषु वातप्रकृतिको नर : ।।”

वात दोष के गुण आपकी शारीरिक और मानसिक विशेषताओं का निर्धारण करते हैं।

रूक्ष, खर, कठिन

सूखे बाल, सूखी त्वचा, सूखे नाखून,कमजोर हड्डियां कम नींद,कठोर मल, कब्ज, सूखा मल,

शीत

ठन्डे हाथ और पैर, शरीर में अधिक ठंडी का अनुभव करना, सर्दियों के दौरान अत्यधिक कंपकंपी, अनियमित भूख, कमजोर पाचन क्षमता

लघु

कमजोर हड्डियां और जोड़ पतला शरीर, , कमजोर शरीर, कम शारीरिक शक्ति

चल

मन की अस्थिरता, मन में हिचकिचाहट, मन पर नियंत्र नही ,अस्थिर विचार, एकाग्रता की कमी बेचैनी।

वात प्रकृति के शारीरिक लक्षण

वात प्रकृतिके शारीरिक लक्षण निम्नलिखित हैं:-

  1. वात प्रकृति के लोग को हर काम मे जल्दी रहती है ।वात प्रकृति के लोगो के शरीर मे रूखापन जन्म से हिं ज्यादा होगा। उनके बाल त्वचा नाखून ड्राई होंगे । उनके त्वचा में कटने फटने की समस्या ज्यादा होती है ।ऐसे लोग जिनको ठण्डी आते ही होठ हाथ पैर फटने लगते है ,ऐसे सारे लोग वात प्रकृति के होते हैं .ऐसे व्‍यक्तियों में रूखी त्‍वचा, बालों का रंग गहरा पाया जाता है ।रूखापन अर्थात ड्राइनेस वात प्रकृति के लोगो में रूखापन जन्म से ही होता है उनके स्किन बाल नाख़ून सब ड्राई होगे उनकी स्किन जल्दी फटती है रूखेपन की वजह से स्किन फटने की समस्या बहुत होती है वात प्रकृति वालों में .चेहरा रूखा और शुष्क दिखता है.त्वचा शुष्क, रूखी या फटी हुई.बाल शुष्क, रूखे या फटे हुए.जीभ शुष्क, फटी हुई, ठंडी और खुरदरी दिखाई देती है.
  2. ऐसे व्‍यक्ति वाचाल स्‍वभाव के होते है मतलब ज्‍यादा बोलने वाले होते हैं ।जिनको बकबकी भी कह सकते हैं ।
  3. ऐसे व्‍यक्ति जल्‍दबाज होते हैं मतलब किसी भी काम को जल्‍दी करना चाहते हैं । इनमें सहनशिलता कम पाई जाती है ।आयुर्वेद में कहा गया है ऐसे लोग जिनको हर काम में जल्दी रहती है जो जल्दी जल्दी जल्दी खाते है जल्दी जल्दी चलते हैं जल्दी जल्दी बात करते है हर बात में जिनको जल्दी रहती है ये सब लोग वात प्रकृति के होते हैं .
  4. ऐसे व्‍यक्तियों का स्‍मरण शक्ति कमजोर होता है । 
  5. अधिक चिंता करना और जल्‍दी से डर जाना वात प्रकृति के लोगों का पहचान होता है ।
  6. शरीर में सक्रियता दिखाते रहते हैं जैसे बैठे भी हो तो हाथ-पैर हिलाते रहते हैं । 
  7. किसी भी बात को आसानी से समझ सकते हैं । 
  8. ऐसे लोगों को ठंड अधिक लगती है ।वात वालों में ठंडी बर्दास्त नही होती है ठंडापन उन्हें बर्दास्त नही होती या ठंडी से उन्हें बहुत तकलीफ होती है ऐसे लोग जो ठंडी का मौसम आते ही तुरंत बीमार हो जाते है ऐसे लोग जो पंखे के निचे बैठते ही बीमार हो जाते है या जिन्हें पंखे में कूलर में बैठने से तबियत खराब हो जाती है और जोड़ो में दर्द सर्दी जुकाम खांसी हो जाता है वो सब वात प्रकृति है ऐसे लोग जो हमेसा गर्मी पसंद करते है गरम खान पान गरम सूप या जो गर्मी के मौसम में खुश रहते है वो सब वात प्रकृति के होते हैं .
  9. वात वालो में गति होती है उनको हर बात में जल्दबाजी होती है चाहे शारीरिक हो या मानसिक.ऐसे लोग जिनका दिमाग हमेसा सोचते रहेगा चलते रहेगा जो हमेशा बातचीत करते रहेगा बोलते रहेगे ऐसे लोग को बडबडी कहते है जो .हमेशा हिलते रहते है कभी शांत नही बैठ सकते है हमेशा हाथ या पैर उनका हिलता रहेगा चलता रहेगा मतलब उनके अंदर हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता वो स्थिर नही बैठ सकते है वात प्रकृति वाले बहुत चंचल स्वभाव के होते हैं .उन्हें गाना म्यूजिक बहुत पसंद होता है वो छोटी छोटी बात का भी बतंगड़ बनाकर बातें बढ़ाना हमेसा बोलते रहना ये वात वालों के लक्षण है वात वालों की आंखें चंचल होती है.
  10. प्यास महसूस करते रहना, लेकिन पानी पीते रहना या कभी कभी अधिक मात्रा में और कभी-कभी कम मात्रा में
  11. मुंह का स्वाद कसैला हो सकता है
  12. शरीर का वजन कम होता है, या कभी कभी अल्प-भार(under weight)होते हैं .
  13. नसें बाहर निकली हुई और अस्पष्ट होती हैं
  14. पेट धंसा हुआ होता है
  15. वात वालो की हड्डियों से आवाज आती है रूखेपन के कारन उनकी हड्डियों में वायु जल्दी बढ़ जाती है वहाँ का चिकनापन जल्दी ख़तम हो जाता है और उनके जोड़ों में से कट कट की आवाज आती है.
  16. आंखे खोलकर सोते है वात प्रकृति के या फिर नींद में बडबडाते हैं
  17. तेज, अस्पष्ट और भारी आवाज
  18. वात प्रकृति के लोग ज्यादातर पतले होते है लम्बे होते है .इनका शारीरिक शक्ति शारीरिक बल कम होता है ये थोड़ी सी मेहनत से थक जाते है वो शारीरिक काम कम ही कर पते है है वात प्रकृति के लोग छरहरे देह के या पतले-दुबले होते हैं । इनके शरीर का वजन अपेक्षाकृत कम होता है ।शारीरिक शक्ति का अभाव या शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं .
  19. आंखें धंसी हुई और सूखी दिखाई देती हैं
  20. बरौनी कम, पतली और सूखी दिखाई देती हैं
  21. दन्त संरेक्ष्ण अनियमित दिखाई देता है
  22. वात प्रकृति वाले जल्दी जल्दी बोलते है .वात वालों की आवाज में खुरदुरापन होता है उनकी आवाज मीठी ही होती उनके बाल कम होगे आंखे अंदर की तरफ होगी चेहरा भी धंसा हुआ होता है
  23. बदसूरत क्षीण उपस्थिति
  24. इनकी हर चीज अनियमित होगी हर चीज विषम होगी ये वात वालों का विशेष लक्षण है इनका पाचन अग्नि हमेसा विषम रहेगा कभी खूब भूख लगेगी कभी एकदम नही लगेगी भूख कभी कब्ज हो जायेगा कभी पेट एकदम अच्छे से साफ़ होगा ऐसे लोग जिनको गैस बहुत बनती है मुह से डकार बहुत निकलती है सब वात प्रकृति के मान सकते है
  25. सांवला रंग
  26. माथा छोटा दिखता है
  27. छाती छोटे दिखती है
  28. छोटी आँखें
  29. वात वालो को गहरी नींद साउंड स्लीप नही आती उनकी नींद खंडित होगी .वात वालों की नींद कुत्ते के सामान होती है अल्प्निन्द्र होती है गहरी नींद नही होती है
  30. इनकी पल्स रेट जल्दी जल्दी चलती है.नब्ज तेज और क्षीण
  31. वात वालो को मासिक धर्म जल्दी जल्दी होती है मासिक धर्म में पीड़ा बहुत होती है .मासिक धर्म रक्त गहरे रंग का.कम मात्रा में मासिक धर्म का प्रवाह
  32. वात वालों को गरम् चीजें बहुत अच्छी लगेगी.

वात प्रकृति के मानसिक लक्षण

  1. वात वालों में पहली चीज होती हो elertness होती है जागरूक होते है कभी भी कुछ भी हुआ वह पहुच जाते है कहा क्या चल रहा है ये सब पर उनकी नजर होती है.
  2. चंचलता वो जल्दी जल्दी सब काम करते है .चंचल स्वभाव के होते हैं
  3. वात वाले कोई चिज जल्दी समझ जाते है जल्दी याद भी हो जायेगी पर कुछ समय के बाद भूल जायेगे .ऐसे लोग जो तुरंत समझ जाते है और तुरंत भुल जाते हैं वात प्रकृति के होते हैं .
  4. वात प्रकृति वाले एक चीज पर ज्यादा देर तक टिके नही रह सकते है कोई काम तुरंत सुरु करते है पर ज्यादा दिन तक टिके नही रह पाते है उस काम पर ,उनका तुरंत परिवर्तन होते रहता है आयुर्वेद में अव्यवस्थित चित्त कहा गया है पित्त वालों को
  5. ऐसे लोग जो बहुत जल्दी दोस्त बना लेते है पर उनके दोस्त फिक्स नही होते किसी के भी साथ बात कर लेगे . उनके परमानेंट फ्रेंड बहुत कम ही होते है क्योकि वात वाले बदलते रहते है बदलना वात वालों का नेचर होता है
  6. बहुत ज्यादा बोलने वाले होते है वात वाले एक छोटे से विषय पर भी ढेर सारी बातें कर जायेगे हमेसा बात करना उनको पसंद है.
  7. बुद्धिमत्ता का अभाव या बुद्धि का अच्छी तरह से संगठित ना होना
  8. खराब स्मृति
  9. सावधानी का अभाव
  10. हिचकिचाहट वाला अंतःकरण
  11. वात वालों को हमेसा घूमना पसंद है नए नए जगह पर जाना पसंद है वात वालो को बदलाव पसंद हो वो एक जगह नही रह सकते बोर हो जाते है .वात वाले घूमते रहते हैं ट्रेवलिंग पसंद होता है उन्हें
  12. अजितेन्द्रिय जिनको इन्द्रियों पर जीत नही है मतलब जिनका नेचर बदलता रहता है कभी खट्टा खाने का मन किया कभी मिठा चंचलता बहुत होती है इन्द्रियों पर उनका वश नही होता ऐसे लोग वात प्रकृति के हैं .उनका मन जो कर दिया वो तुरंत उनको चाहिए ,उनका अपनी इन्द्रियों पर वश नही है उनको सब कुछ इंस्टेंट चाहिए
  13. वात वाले जुगाडी होते है वात वाले करना बहुत चाहते है पर उनका शरीर साथ नही देता है वो कोई एक काम पूरा नही कर पते कोई कम थोडा करके है छोड़ देते है .
  14. कुछ भी कर के अपना काम निकाल लेना ये भी वात वालों का एक गुण है
  15. इर्ष्य करना वात वाले चुगली करने वाले और इर्ष्य करने वाले होते हैं किसी की भी चुगली करना उनका स्वभाव होता है
  16. बहुत्व वात वालों को कोई चीज पसंद आएगी तो बहुत ज्यादा वो चीज फिर उनको तुरंत चाहिए ही .जो लोग तिल का ताड बना देते है हर बात में ये सब नेचर वात वाले में ज्यादा पाए जाते हैं
  17. मन पर नियंत्रण का अभाव,निर्बल मस्तिष्क,मानसिक तनाव के लिए गैर प्रतिरोधी
  18. वात वालों में राज गुण ज्यादा होता है वात वाले शांत नही बैठ सकते हैं वात वालो की इच्छाएं बहुत ज्यादा होती है .
  19. वात वालों में तेजी है हर काम में जल्दी जल्दी होता है उनको
  20. मूड बदलना भी उनके स्वभाव में हैं अभी नाराज है फिर तुरंत मान भी जाते है कुछ समय पहले वो झगड़ते है फिर प्यार से रहने लगते है वात वालों को रिलेशन सम्भालने में बहुत दिक्कत होती है
  21. वात वालों को बीमारियाँ बहुत जल्दी होती है
  22. निडर नहीं,साहसी नहीं,बहादुर नहीं
  23. ऐसे लोग जिनकी छोटी छोटी बात पर हाथ पैर कांपने लगते है डर जाते है वात वाले है वात वाले बहुत डरपोक स्वभाव के होते हैं .
  24. वात वाले लोग क्रितग्न नही होते वो किसी का एहसान नही मानते
  25. वो किसी ने कुछ मदद की हो उनको याद नही रहता
  26. बहुत अच्छी समझने की शक्ति
  27. लघु अवधि के कार्यों में सर्वश्रेष्ठ
  28. उनके पास साधन कम होते है
  29. कलहप्रिय होते है उनको कुछ न कुछ टॉपिक चाहिये लड़ने के लिए उनका झगड़ा ऐसा नही होता की किसी को मार दिया कुछ दिया वात वाले बस छेड़ते रहते है टोकते रहते परेसान करते रहते है ऐसे लोग जो बिना बात के लड़ने के लिए हमेसा तैयार रहते है
  30. नास्तिक जीनको आगे की चीजों में विश्वाश नही है वात वालों का दिमाग उन्हें नास्तिकता की तरफ ले जाता है
  31. एकाग्रता का अभाव अस्थिर विचार
  32. ऐसे लोग जिन्हें म्यूजिक बहुत पसंद है वात वाले होते है वात वाले बहुत तेज फ़ास्ट गाना म्यूजिक पसंद करते है
  33. वात वालों को गाना बजाना पार्टी करना पसंद है
  34. मन का भटकना
  35. जीवन में संतुष्टि की कमी
  36. मानसिक सहिष्णुता का अभाव

सर्वश्रेष्ठ पर्यावरण

  • गर्म आर्द्र जलवायु

वात प्रकृति के भावनात्मक लक्षण

  1. अत्यधिक अति-उत्साहित
  2. बहुत जल्दी डर लगता है
  3. तेज मिजाज
  4. अत्यधिक अति सक्रिय
  5. बहुत जल्दी क्रोध आ जाता है, लेकिन क्रोध जल्दी समाप्त भी हो जाता है
  6. कभी-कभी खुश और कभी-कभी नाखुश
  7. भौतिक संबंध बनाने की इच्छा पर बेहतर नियंत्रण नहीं

वात प्रकृति की सामान्य समस्याऐं

इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको इन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, लेकिन जब वात दोष बढ़ जाए या कुपित हो जाए, तो यह निम्नलिखित समस्याओं या रोगों का कारण बन सकता है:

  1. जोड़ों में चरचराहट
  2. सूखी त्वचा
  3. कटी फटी त्वचा और एड़ियां
  4. कठोर और सूखे मल के साथ कब्ज
  5. जोड़ों में दर्द
  6. अनिद्रा
  7. हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी
  8. अल्प-भार
  9. वजन बढ़ाने में कठिनाई
  10. अनियमित भूख
  11. अकेलापन महसूस करना
  12. आक्रामकता या हिंसक लक्षणों के साथ अवसाद
  13. चिंता और असुरक्षा की भावना
  14. कम मासिक धर्म प्रवाह
  15. अनियमित माहवारी

समाधान उपचार (SOLUTION )

  1. वात हवा से जुडी बीमारी है इसमें रूखापन की समस्या आती है जैसे रुखी स्किन रूखे बल रूखे होठ सभी में वात के रूखेपन के लिए इसके विरुद्ध चीजें उपयोग करनी चाहिए .जैसे चिकनाहट वाली वात वालों के लिए तेल का उपयोग ज्यादा से ज्याद करना चाहिए वात वालों के लिए ऐसा तेल चाहिए जो स्निग्ध हो गरम हो हवा को कम करे ये सभी गुण तिल के तेल में है वात वालों के लिए तिल का तेल बहुत फायदेमंद है .
  2. वात वालों को अभ्यंग (तेल मालिश )करने के लिए कहा गया है तेल मालिश वात को नियंत्रित करने की सर्वश्रेष्ठ दवा है .
  3. वात हड्डियों को कमजोर करेगी दन्त खराब होगे servical joint की समस्वाया त को होती हैनाक में तिल का तेल डालना चाहिए तेल का कुल्ला करने को कहा गया है
  4. वात वालों के शरीर में हर चीज हलकी होगी कम वजन के होगे.इस के लिए भारी चीजें खान पान में शामिल करना चाहिए उड़द की दाल वडा मिठाई खा सकते है जितनी भी मीठी चीजें है वात के लिए बहुत अच्छी है
  5. वात प्रकृति के लोगो को ठंडी बहुत लगती है जितनी भी गरम चीजें है वो वात वालो के लिए अच्छा है
  6. गरम पानी का उपयोग वाट वालों के लिए फायदेमंद है
  7. गरम मसालों का उपयोग करना चाहिए. जिसमे घी भी हो क्योकि केवल गरम मसाले वात को कम करेगे पर गर्मी बाधा देगे.
  8. मीठा खट्टा नमकीन इस तिन टेस्ट के पदार्थ आप अपने खाने में जरुर शामिल करिये ये वात के लिए अच्छा है
  9. कपड़े में मोटे और गरम कपड़े वात वालों के लिए अच्छे है जब भी पंखे के निचे हो तो कान को ढक करके रखिये
  10. गरम चीजे वात वालो के लिए अच्छी है
  11. सुबह की धूप लेना वात वालों के लिए बहुत अच्छा है
  12. वात वालो को खुरदरापन की समस्या होती है इसके लिए मक्खन बहुत कमाल की दवा है या दही उत्तम वातनाशक है मुंग के साथ दही खा सकते है
  13. चंचलता की वजह से वात वाले सबसे ज्यादा बीमरी का शिकार होते है इसके लिए उन्हें मैडिटेशन प्राणायाम करना चाहिए
  14. स्थिर चीजों का उपयोग करना चाहिए सभी तरह के कंद वात वालों के लिए बहुत अच्छी है शतावरी हल्दी अश्वगंधा सुरन ये सब बहुत फायदेमंद है वात वालों के लिये .
  15. वात वालो को ८० से ज्यादा रोग होने की सम्भावना है
  16. वात प्रकृति वालो के लिए सबसे बेस्ट है स्नेह मालिश कान में नाक में तेल डालना नाभि में तेल डालना सबसे अच्छा है वात वालों को खाने में घी का प्रयोग जरुर करना चाहिए ऐसे चीजों का उपयोग करिये जो पसीना निकालने का काम करे
  17. मीठा वात के लिए श्रेष्ठ है गुड मिश्री काकवी ये सब अच्छा है वात वालों के लिए
  18. वात वालों के लिए पंचकर्म में बस्ती श्रेष्ठ है स्नान से पहले तेल मालिस अच्छी है
  19. हाथपैर दबाना चाहिए उससे वात में आराम मिलता है रोज शरीर को दबाना अच्छा है पट्टी बाधना जिस जगह पर दर्द हो वह पट्टी बाधना हवा न लगने देना अच्छा हैसिकाई करने से भी आराम मिलता है.
  20. गुड से बनी चीजे फायदेमंद है तेल से बनी चीजे खा सकते है बहुत अच्छी है
  21. वात वालों को ज्यादा भागदौड़ को कम करना क्जहिये बिना मतलब के भाग दौड़ कम करिये
  22. आयुर्वेदिक मद्य बहुत अच्छे है
  23. आयुर्केवेद के असव अरिष्ट अच्छे है वात वालों के लिए
  24. शवासन बहुत अच्छा है वात वालों के लिए
  25. प्राणायाम और मैडिटेशन जरुर करिये .मन शांत होगा
  26. ये सब आदतें वात वालों अपनी लाइफ में जरुर लानी चाहिए .इससे वात दोष की समस्या से बहुत लाभ मिलता है

नोट: यह आवश्यक नहीं है कि इस आलेख में वर्णित सभी लक्षण आप में होंगे। इनमें से कुछ वात और अन्य दोषों के अनुपात के अनुसार आपके शरीर में  उपस्थित होंगे। वात दोष की प्रबलता इस बात का प्रतिनिधित्व करती है कि आप में वात प्रकृति (वातज प्रकृति) के लक्षण अधिकतम होंगे।

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